Wednesday, September 23, 2020

ये वो गांव नही..

उत्तर प्रदेश के शामली (तब मुज़फ्फरनगर) गांव में मेरा जन्म हुआ था सही दिनांक और सन न मुझे पता न मेरे मां बाप को ही ठीक से याद है।लाल रंग की एक बही में पिताजी ने मेरे जन्म की तारीख नोट की थी जो काफी वर्ष पहले गायब हो गई।इसलिए शैक्षणिक अभिलेख में अंकित 12 अगस्त 1977 ही मेरी असली जन्मतिथि मानी जानी।चाहिए।
गांव के प्राथमिक पाठशाला हथछोया नम्बर एक अर्थात शिवाले में मेरी प्राथमिक शिक्षा हुई।
.......जारी

Sunday, September 6, 2020

कुरान और धर्मनिरपेक्षता

जो लोग इनकार करेंगे (कलमे का) और हमारी निशानियों को झुठलायेंगे तो वही लोग दोजख(नरक) में रहेंगे, वे उसमे हमेशा रहेंगे.(34-39)सुरह 2, अल बक़रह
हमने  बनी इजरायल से अहद (वचन) लिया कि तुम अल्लाह के सिवा किसी की इबादत नहीं करोगे (83)सुरह 
2, अल बक़रह
कुरान को आंशिक रूप से नही मान सकते हैं:
 क्या तुम किताब ए इलाही के एक हिस्से को मानते हो और एक हिस्से का इनकार करते हो। पस तुम में से जो लोग ऐसा करें उनकी सजा इसके सिवा क्या है कि उन्हें दुनिया की जिंदगी में रुसवाई हो और कियामत के दिन उन्हें सख्त आजाब में डाल दिया जाए।
अल्लाह उस चीज से बेखबर नही है जो तुम कर रहे हो।पस न इनका अज़ाब हल्का किया जाएगा और न इन्हें मदद पहुंचेगी(84-86) सुरहन2, अल बक़रह
अल्लाह के उतारे हुए कलाम का इनकार करने वालों के लिए जिल्लत का अजाब है।(87-90) सुरह 2, अल बक़रह
निरस्त भी होती हैं आयतें
हम जिस आयात को मौक़ूफ़(निरस्त) करते हैं या।भुला देते हैं तो उससे बेहतर या उस जैसी दूसरी लाते हैं।(104-108)
वही है जिसने तुम्हारे ऊपर कितना उतारी, इसमे कुछ आयतें मोहकम(सुदृढ, सुस्पष्ट) हैं और दूसरी आयते मुताशाबह (संदेहास्पद, अस्पष्ट) हैं।पस जिनके दिलों में टेढ़ है वे मुताशाबह के पीछे पड़ जाते हैं, फ़ितने की तलाश में और इनके अर्थों की तलाश मरण।हालांकि इनका अर्थ अल्लाह के अलावा कोई नही जानता है।(सूरह 3, आले इमरान)
इनकार करने वालों का अल्लाह का धोखा:
....अल्लाह ने कहा कि जो इनकार करेगा मैं उसे भी थोड़े दिनों फायदा दूंगा, फिर उसे आग के अजाब की तरफ धकेल दूंगा और वह बहुत बुरा ठिकाना है।(125-126)
सूरह 2 अल बक़रह
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम फर्जी है:
और कुछ लोग हैं जो अल्लाह के सिवा दूसरों को उसके बराबर ठहराते हैं उनसे ऐसी मोहब्बत रखते हैं जैसी मोहब्बत अल्लाह से रखना चाहिए और जो ईमान वाले हैं यह सबसे ज्यादा अल्लाह से मोहब्बत रखने वाले हैं और अगर यह जालिम उस वक्त को देख लें जबकि वह हजार को देखेंगे कि जोर सारा का सारा अल्लाह का है अल्लाह बड़ा सख्त सजा देने वाला है जबकि वह लोग जिनके कहने पर दूसरे चलते थे उन लोगों से अलग हो जाएंगे जो इनके कहने पर चलते थे आज आप उनके सामने होगा और उनके तब तक के रिश्ते टूट चुके होंगे वे लोग जो पीछे चलते थे कहेंगे काश हमें दुनिया की तरफ लौटना मिल जाता तो हम भी उनसे अलग हो जाते।इस तरह अल्लाह एंकर आमाल को उन्हें हसरत बनाकर दिखायेगा और वे उस आग से निकल नही सकेंगे।(165-167) अल बकरा, सूरा 2
कुरान की पुनर्व्याख्या गैर इस्लामी
अल्लह ने अपनी किताब को ठीक ठाक उतारा एमजीआर जिन लोगों ने किताब में कई रह निकाल ली वे जिद में दूर जा पड़े(172-176)
ईमान किस पर?
आदमी ईमान लाये
अल्लाह उसके रसूल, आख़िरत,फरिश्तों और किताब पर। (177 अल बक़रह, सूरा 2)
जिहाद: अल्लाह की राह में लडाई
तुम पर लडाई का हुक्म हुआ है।....(2:215)
अल्लाह की राह में जिन्होने जिहाद किया वे अल्लाह की रहमत के उम्मीदवार हैं।(218,सूरा 2 अल बक़रह)
जो शख़्श अल्लाह की राह में लड़े, गिर मारा जाए या ग़ालिब हो तो हम उसे बड़ा अज्र(प्रतिफल) देंगे(4:71-76)
जबकि वे सफर या।जिहाद में निकलते हैं और उन्हें मौत आ जाती है ...(3:156 आले इमरान)
लड़ो अल्लाह की राह में।तुम पर।अपनी जान के सिवा किसी की जिम्मेदारी नही है और मुसलमानों को उभारो..(4:84 अन निसा)
उन्हें(मुंकीरों को) पकड़ो और जहां कहीं भी पाओ उनको कत्ल करो और उनमें से किसी को साथी और मददगार न बनाओ....(4:88-89 अन निसा)
..वे मुसलमान जो अल्लाह की राह में अपनी जान और अपने माल से लड़ने वाले हैं, वे बैठे रहने वाले मुसलमानों से बड़े दर्जे वाले हैं।माल व जान से जिहाद करने वालों का ,बैठे रहने वालों की निस्बत बड़ा है,उनके लोए मगफिरत एवं रहमत हैं।(4:94-96)१
कुरान में लव जिहाद
मुशरिक औरतों  से निकाह ना करो जब तक वह ईमान न लाएं और मोमिन कनीज बेहतर है एक मुशरिक औरत से,।अगरचे।वज तुम्हे अच्छी मालूम हो। और अपनी औरतों को मुशरिक मर्दों से निकाह में न दो जब तक वे ईमान न लाएं, मोमिन गुलाम बेहतर है एक आज़ाद मुशरिक से अगरचे वज तुम्हे अच्छा मालूम हो।उठे लोग आग की तरफ बुलाते हैं और खुदा जन्नतऔर अपनी बख्शीश की ओर।.........
तुम्हारी औरतें  तुम्हारी खेतियाँ हैं।पास अपनी खेती में जिस तरह चाहो जाओ और अपने लिए आगे भेजो और अल्लह से डरो और जान लो कि तुम्हें जरूर उससे मिलना है।और ईमान वालों को खुशखबरी दे दो। (सूरा 2, अल बक़रह 221-224)
झूठी कसम
अल्लाह तुम्हारी बेइरादा कसमों पर तुमको नही पकड़ता है मगर वज उस काम पर पकड़ता है जो तुम्हारे दिल करते हैं।
अल्लाह केवल ईमान वालों का
जो इनकार करने वाले हैं वही जुल्म करने वाले ।अल्लाह ,इसके सिवा कोई माबूद(पूज्य) नही। वह जिंदा है सबको थमने वाला है।उसे न ऊंघ आती न नींद।उसी का है जो कुछ आसमानों और जमीन में है।
अललाह-काम बनाने वाला है,ईमान वालों का, वह उन्हें अंधेरों से निकलकर उजाले की तरफ लाता है एयर जिन लोगों ने इनकार किया उनके दोस्त शैतान हैं, वे उन्हें उजाले से अंधेरों की तरफ ले जाते हैं, ये आग मेम जाने वाले लोग हैं और हमेशा रहेंगे।
(सूरा 2 अल बक़रह, 254-257)
अल्लह जालिमों को राह नही दिखाता है (258)
अल्लाह के अलावा कोई माबूद(पूज्य) नही है।दिन अल्लाह के नजदीक सिर्फ इस्लाम है।(18-19, सूरह 3 आले इमरान)
हम अल्लाह के सिवा किसी की इबादत न करें और अल्लाह के साथ किसी को शरीक न ठहराएं।और इसमें से कू किसी दूसरे को अल्लाह के शिव रब न बनाये।(सूरह 3, आले इमरान 64-65)
बेशक कॉलेज इसे नही बख्शेगा कि उसका शरीक ठहराया जाए और जिसने अल्लाह का शरीक ठहराया वह बहकाकर बहुत दूर जा पड़ा।वे अल्लाह को छोड़कर पुकारते हैं देवियों को और वे पुकारते हैं सरकश शैतान को।उस पर अल्लाह ने लानत की है।(4:116-117)
मुसलमानों के अलावा दोस्त नही
मुसलमानों को चाहिए कि मुसलमानों को छोड़कर हक का इनकार करने वालों को दोस्त न बनायेन और जो शक्श ऐसा करेगा तो उसका अल्लाह से को तअल्लुक नही।(सुरह 3 आले इमरान, 28)
...ए ईमान वालों, मोमिनों को छोड़कर मुंकीरों को अपना दोस्त न बनाओ(4:142-143)
अन्य धर्म स्वीकार नही
....जो शख्श इस्लाम के सिब किसी दूसरे दीन को चाहेगा तो वज उससे जरगीज कबूल नही किया जाएहा और वज आखिरी में नामुरादों में होगा।अल्लाह क्योंकर ऐसे लोगों कप हिदायद देगा जो ईमान लाने के बाद मुंकिर हो गए।
..बेशक जो लोग ईमान लाने के बाद मुंकिर हो गए और फिर कुफ्र में बढ़ते रहे उनकी टाउन हरगिज कबूल न की जाएगी और यही लोग गुमराह हैं।बेशक जिन लोगो ने इनकार किया और इनकार की हालत में मर गए अगर वे जमीन नहर सोना भी फिदये में दें तो कबूल नही किया जाएगा।उनके लिए दर्दनाक अजाब है और उनका कोई मददगार न होगा।
(सूरह 3, आले इमरान 81-91)
मुसलमान हैं एक गिरोह
अब तुम एक बेहतरीन गिरोह हो...(110, सूरह 3 आले इमरान)
बेशक जिन लोगों ने इनकार किया तो अल्लाह के मुकाबले में उनके माल और औलाद उनके कुछ काम न आएंगे।और वे लोग दोजख वाले हैं हमेशा उसी में रहेंगे।(सूरह 3,आले इमरान 113-117)
ए ईमान वालो,अपने गैर को अपना राजदार न बनाओ,वे तुमजे नुकसान पहुंचाने में कोई कमी नही करते हैं।(3:118 आले इमरान)
मुहम्मद सिर्फ एक रसूल है
मुहम्मद बस एक रसूल है।इनसे पहले बीजो रसूल गुजर चुके हैं फिर क्या अगर वह मर जाए या कत्ल कर दिये जायें।(3:144 आले इमरान)

अल्लाह बादशाह
अल्लाह के लिए है जमीन और  आसमान की बादशाही और अल्लाह हर चीज पर कादिर है।(3:189 आले इमरान), अल्लाह बादशाही के लिए खलीफा बनाता है।
बहु विवाह
औरतों में से जो तुम्हे पसन्द हो दो दो,तीन तीन या।चार चार  तक निकाह कर लो।4:1-4 अन निसा)