Thursday, August 11, 2016

वो रोया बहुत

कत्ल के बाद मेरे वो रोया बहुत,
मुझसा अब दुश्मन न होगा।
नजरो से गिराकर जो सजा दे,
हर सख्श में वो फन न होगा।

Tuesday, August 2, 2016

मैं आज बहुत रोया हूँ।

मै रात नहीं सोया हूँ.
मै आज बहुत रोया हूँ !
मेरा बचपन जहाँ बीता..
मैंने चलना जहाँ है सीखा !
कैसा दुर्भाग है ?
वहाँ आज आग है,
वहाँ सहमी हुई है गलियाँ,
हाथों में है दुनलियाँ..
टूट रहे वो रिश्ते,
हैं गायब अमन फ़रिश्ते.
नफ़रत की इस फसल को,
जाने किसने बोया है.
हर बात पे सुबका हूँ,
हर खबर पर रोया हूँ.
मै रात नहीं सोया हूँ,
मै आज बहुत रोया हूँ..
मेरा मुज़फ्फरनगर
बन गया मुर्दाघर..
वहां छतों पे चील है,
रक्त-रंजित सपील है.
आज खुश चमन नहीं है,
भरपूर कफ़न नहीं है !
घर में इंतजार है..
उदास घर-बार है.
किसी ने बेटा, बाप किसी ने.
कोई लाल-सिंदूर खोया है.
लम्हा सदी हो गया है.
आज सबर बहुत खोया हूँ.
मै रात नहीं सोया हूँ,
मै आज बहुत रोया हूँ..
@ सुनील सत्यम..