देश में आजकल काला धन चर्चा में है. बड़ी बड़ी बाते हो रही है. रामदेव और आडवाणी जी विरोध में ताल थोक रहे है कि विदेश से काला धन वापस लाया जाये. सरकार के पसीने छूट रहे है, उसे आशंका है कि देश कि जनता कही इसकी भारी कीमत न वसूल कर ले...चुनाव में.
काला धन क्यों उत्पन्न हो गया इससे जनता को कुछ खास लेना देना नहीं है. कुछ अ[वादों को छोड़ दे ( नेताओं के पैसे को ) तो विदेश में जमा अधिकांश काला धन टैक्स व्यवस्था में अन्तर्निहित खामियों के कारन पैदा हुवा है..ये उस समय में इकठ्ठा हुवा जब फेरा जैसे कानूनों का दौर था.टैक्स डरे बहुत ज्यादा थी.सुविधाओं और प्रोत्साहन के नाम पर बाबुओं कि दुत्कार के आलावा कुछ नहीं था.. ऐसे में अपनी मेहनत कि कमाई कोई टैक्स के रूप में क्यों देना चाहेगा . नतीजा काला धन के रूप में आया..हम इसे कला धन भी कह सकते है.. क्योंकि इसे इसके मालिकों ने अपनी कला से कमाया था जिसे वे ऐसी निकम्मी सरकार को नहीं देना चाहते थे जो बदले में उनको कोई भी सुविधा न देती हो..जिसके नेता चोर हो. और इतना ही नहीं गोपनीयता के नाम पर उनके सारे काले कारनामों को सुरक्षा का मजबूत आवरण उपलब्ध हो..घोटाले बाज नेताओं का मकसद ही जनता कि गाढ़ी कमाई को चाट कर जाना रहा हो..
विदेश में जमा काले धन को दो वर्गों में बांटा जा सकता है.
१. ऐसा धन जो ऊंची टैक्स दरो से बचने के लिए विदेश में जमा किया गया है..यह मुख्य रूप से व्यवसाइयों एवं उद्योगपतियों का पैसा है.
इस पैसे को विदेश से भारत लाकर आज कि टैक्स दरों के हिसाब से टैक्स काटकर इसके मालिको को सौंप देना चाहिए ताकि यह पैसा देशी अर्थव्यस्था को मजबूती प्रदान कर इसके साथ यह शर्त होनी चाहिए कि इस पैसे का उपयोग ये लोग ग्रामीण उद्योगीकरण, ग्रामीण सड़को एवं परिवहन के उन्नतीकरण एवं ग्रामीण क्षेत्रों के विद्युतीकरण में करेंगे.
२. दूसरी श्रेणी में ऐसा पैसा है जो नेताओं ने इस देश को लूटकर कमाया है. ऐसे धन को वापस लाकर राष्ट्रीय संपत्ति घोषित कर देना चाहिए. देश को लूटने वाले इन नेताओं के विरुद्ध कठोर क़ानूनी कार्यवाही कि जनि चाहिए. इस पैसे का उपयोग देश में आधारभूत सरंचना को मजबूत करने, कृषि अर्थव्यवस्था में अनुसन्धान एवं गरीबी उन्मूलन योजनाओं पर खर्च करना चाहिए.
उपरोक्त के अतिरिक्त काले धन का एक और वर्ग है जिस के बारे में कोई बात करने को तैयार नहीं है..यह है इस देश के मठ, मंदिर मस्जिद,आश्रमों चर्चों और गुरद्वारों में दबा अथाह धन का भंडार..सरकार सभी दलों की सहमति से देश के सभी धार्मिक स्थानों को वैष्णो देवी मंदिर की तर्ज पर ट्रस्टों को सौंप दे ताकि वहां चल रही धार्मिक लूट को रोक कर इस पैसे का धार्मिक स्थानों के विकास एवं सञ्चालन के साथ साथ देश की आर्थिक उन्नति के लिए भी प्रयोग किया जा सके. ऐसा करने से इन धार्मिक स्थानों पर कार्यरत लोगो को तो सरकारी सरंक्षण मिलेगा ही और बहुत से लोगो को भी वहां रोजगार दिया जा सकता है..
कुंवर सत्यम..