Saturday, June 10, 2017

सफूरा कसाना: अच्छे दिनों के इंतजार में...

वनगुर्जर बहन सफुरा कसाना और भाई करीम लोढ़ा की दास्तां...!
--------------------------@सुनील सत्यम
सहारनपुर से वाया मिर्ज़ापुर पौंटा साहिब जाने के मार्ग में प्राचीन टिमली रियासत पड़ती है।दर्रारीट (धर्मावाला) चेकपोस्ट से ही उत्तराखंड राज्य शुरू हो जाता है।यूँ कहिये कि मिर्ज़ापुर(सहारनपुर)से थोडा आगे चलते ही हिमालय की शिवालिक श्रृंखला शुरू हो जाती है।यहाँ से आगे टिमली गाँव पड़ता है।टिमली पूर्व में एक गुर्जर रियासत थी जिसका सरदार बल्लभ भाई पटेल द्वारा भारतीय गणराज्य में सम्मिलन कर दिया गया था।
दर्रारीट चेकपोस्ट पार करके पचास कदम की दूरी पर ही एक खोल में वनगुर्जरों के करीब चार परिवार रहते हैं,इनमे से एक परिवार है भाई करीम लोधा का। करीम, लोधा गौत्र के वनगुर्जर है तो उनकी पत्नी सफूरा, कसाना गौत्र की है।करीम ने बताया कि माँ और पिता,दोनों के गौत्रों का विवाह के समय बचाव किया जाता है।ऐसा न करने वाले लोगों को हमारी जातीय पंचायत जाति से बहिष्कृत कर देती है।करीम के विवाह के समय भी उनके अपने गौत्र लोधा और मातृगौत्र बनयाने का बचाव किया गया था। सभी वनगुर्जर पूर्णतः शाकाहारी है।बक़रीद के समय भी अंडा तक नहीं खाते हैं।मीठी ईद ही मनाते है।
  करीम के संघर्ष की दास्ताँ बड़ी कठिनाइयों से भरी है।गत वर्ष किसी अज्ञात बीमारी से करीम की सभी गाय-भैसों की मौत हो गई जिससे उन्हें करीब एक लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ा।उसके पशु बच सकते थे यदि उन्हें तत्काल चिकित्सा सेवा मिल जाती लेकिन जंगल में पशु तो क्या मनुष्यों के लिए भी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं है।पशुओं की अचानक मौत ने करीम परिवार की कमर तोड़ दी।आय का कोई अन्य स्रौत नहीं था,परिवार भूखों मरने के कगार पर आ गया तो करीम ने राज-मिस्त्री का काम सीखा।शुरुआत में बहुत कम मजदूरी मिलती थी लेकिन अब ₹ 500 प्रतिदिन मजदूरी मिल जाती है महीने में औसतन 12 से 15 दिन काम मिलता है।उसी से परिवार चलाना पड़ता है।
"यह क्षेत्र उत्तराखंड राज्य में आता है।सरकारी तौर पर कोई मदद नहीं मिलती है।स्थानीय विधायक ने इन्हें एक सोलर लाइट जरूर दी है"
करीम ने बताया कि हमारे लगभग 700-800 वोट है लेकिन फिर भी कोई हमारी सुध नहीं लेता है।
कभी भी जंगली हाथी आ जाते है जो डेरे को काफी नुकसान पहुंचा देते है,जिंदगी पुनः शुरू करनी पडती है। करीम कभी पढाई नहीं कर पाये है।सफूरा भी पढ़ी लिखी नहीं है।कारण है कि यह पर्वतीय जंगली इलाके में रहते है जहाँ शिक्षा व्यवस्था नहीं है।लेकिन करीम और सफूरा अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते है।इनकी 3 बेटियां है जिनमे सबसे बड़ी का नाम आमना है जो कक्षा 4 में पढ़ती है।उससे छोटी फातिमा है जो कक्षा 2 में है तथा तीसरी ने अभी स्कूल जाना शुरू नहीं किया है।
करीम अपने विधायक और सांसद का नाम नहीं जानते है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का नाम उन्होंने काफी सुना है।पूछने पर करीम ने बताया कि मोदी जी अच्छा भाषण देते है और वह काम भी बहुत अच्छे कर रहे है लेकिन अफसर लोग हम गरीबों तक उन अच्छे कामों को नहीं पहुंचने देते है। जंगली जीवन में उन्हें अभी अच्छे दिनों के आने को बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं है।करीम को पता है कि सरकार गरीबों के लिए मकान बना कर देती है,लेकिन वह गरीब भी उनकी नजर में मैदानी सुगम जीवन जीने वाले ही हैं।करीम को इस बात का पछतावा है कि एक बार उन्हें सरकार से जमीन का पट्टा और घर मिलने वाला था लेकिन उनके अब्बा मरहूम इससे वंचित रह गए।करीम की दिली इच्छा है कि उनके भी "अच्छे दिन" आएं और वह जंगली से सभ्य मानव जीवन में प्रवेश कर सके। उनको उम्मीद है कि मोदी की जितनी तारीफ उन्होंने सुनी है उसके हिसाब से उन्हें भी कुछ न कुछ अच्छे दिन देखने को मिलेंगे।
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प्रेमकुल मिशन ट्रस्ट वनगुर्जरों के उत्थान के लिए प्रयासरत है।आज मिशन टीम ने अपने वनगुर्जर बंधुओं का दर्द बांटने के लिए दौरा किया और मामूली सहायता भी प्रदान की।

Tuesday, June 6, 2017

देशविरोधी राजनीति का खालिस्तानी कनेक्शन

यह अचानक नही हो सकता है कि ऑपरेशन ब्लू स्टार के 3 दशकों के बाद पंजाब में अचानक खालिस्तान समर्थक गतिविधियां बढ़ जाएं !
फरवरी 2017 के पंजाब विधान सभा चुनाव को देश की एक क्षेत्रीय पार्टी ने खुद को राष्ट्रीय पार्टी के रूप में स्थापित करने के सुनहरे अवसर के रूप में देखा और इसे जीतकर पंजाब में सरकार बनाने के सपने देखने शुरू कर दिए। पंजाब में पहले भी विधान सभा चुनाव होते रहे हैं लेकिन कभी भी किसी पार्टी ने चुनाव जीतने के लिए कनाडा के रुख नही किया ! लेकिन 2017 का पंजाब विधान सभा चुनाव इस मामले में अलग था । इस राजनीतिक दल ने पंजाब में बिना किसी आधार के मीडिया मैनेजमेंट और कथित चुनाव पूर्व सर्वे के द्वारा 2016 के प्रारम्भ से ही ऐसा माहौल बनाना शुरू कर दिया कि इस बार पंजाब में उसकी सरकार बन रही है । इस पार्टी ने अपने एक नेता को पंजाब का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया जिसने पंजाब में कम और कनाडा में अधिक समय बिताया। इस पार्टी की राष्ट्रीय समिति के एक सदस्य से मेरी 2016 के प्रारम्भ में बात हुई थी जिसने मुझे पार्टी की पंजाब चुनाव रणनीति और खालिस्तान समर्थकों द्वारा पार्टी को आर्थिक मदद व चुनाव जिताने के लिए मदद के वायदे के बारे में बताया था।उस समय मुझे उसकी बातों पर तनिक भी विश्वास नही हुआ लेकिन धीरे धीरे सच्चाई सामने आने लगी।उस पार्टी के नेताओं की कनाडा यात्रा के बारे में खबरे बाहर आने लगी। आपको बता दूं कि कनाडा पाकिस्तान के बाद, खालिस्तानी आतंकियों का सबसे बड़ा अड्डा बना हुआ है।
   पंजाब चुनाव के दौरान प्रदेश में खालिस्तान समर्थकों को गतिविधियां अचानक बढ़ने लगी।कई खालिस्तानी आतंकियों को इस राजनीतिक दल की चुनाव सभाओं में देखा गया।इस बात की संभावना से इनकार नही किया जा सकता कि खालिस्तानी चैनल के माध्यम से पाकिस्तान ने भी इस पार्टी को पंजाब चुनाव के दौरान फंडिंग की हो!
यह अकारण नही हो सकता कि इस पार्टी का मुखिया 29 सितंबर 2016 को भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान पर किये गए सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे ! ज्ञातव्य है कि पाकिस्तानी आतंकी हाफिज सईद खुलेआम इस सबूत मांगने वाले नेता की तारीफ कर चुका है। सबूत मांगने के पीछे पार्टी को फंडिंग करने वाले खालिस्तानियों और पाकिस्तानियों की नाराजगी मोल न लेना बड़ा कारण हो सकता है?
   इस पार्टी के मुखिया पर शुरू से ही खालिस्तानी समर्थक आतंकियों से समर्थन लेने के आरोप लगते रहे है! पंजाब चुनाव में पार्टी को पैसो की काफी जरुरत थी  यह बात को खालिस्तान समर्थक काफी अच्छे से जानते थे, इसी बात को जानते हुए खालिस्तान समर्थकों ने भी इस राजनीतिक दल में खूब दिलचस्पी ली! इस पार्टी के सहारे वो राज्य की राजनीति में पर्दे के पीछे से पकड़ बनाने की कोशिश में हैं! यूरोप और दूसरे देशों में कारोबार कर रहे सिख समुदाय के पास पैसे की कोई कमी नहीं है! इनमें से कई लोगों के पास अच्छी खासी मात्रा में ब्लैकमनी भी है! यही ब्लैकमनी चंदे की शक्ल में इस राजनीतिक पार्टी को पहुंचाई गई ।जिसके बदले में इन खालिस्तानी संगठनों की मांग की चुनाव में  उनकी पसंद के उम्मीदवार उतारे जाएं! कई खालिस्तानी नेताओं ने बाकायदा कैंडिडेट स्पॉन्सर भी किये।
       पंजाब में एक बार फिर खालिस्तान समर्थक आतंकवादियों की गतिविधियां बढ़ गई हैं. बीती 21 मई को पंजाब पुलिस और BSF ने संयुक्त ऑपरेशन में अमृतसर के पास अजनाला से दो खालिस्तानी आतंकियों को पाकिस्तान से आए हथियारों की डिलीवरी लेते हुए गिरफ्तार किया था। बीते दिनों पंजाब पुलिस की इंटेलिजेंस विंग और मोहाली पुलिस ने साझा ऑपरेशन में खालिस्तान जिंदाबाद नाम के एक नए टेरर मॉड्यूल का खुलासा किया है.
पंजाब को सुलगाने की साजिश
पंजाब पुलिस और बीएसएफ के हत्थे चढ़े चार आतंकियों ने पूछताछ के दौरान इस नए खालिस्तानी टेरर मॉड्यूल का खुलासा किया है. पकड़े चारों आतंकी इस मॉड्यूल को खड़ा करने की कोशिश कर रहे थे. जानकारी के मुताबिक 1984 के सिख दंगों के मुख्य आरोपी रहे कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर इन आतंकियों के निशाने पर थे. साथ ही पंजाब में सिख धर्म के ग्रंथों की बेअदबी करने वाले लोग भी इनके निशाने पर थे. इन आतंकियों की कोशिश थी कि कोई बड़ी वारदात करके पंजाब की शांति भंग की जाए।
मोहाली के एसएसपी कुलदीप चहल ने जानकारी देते हुए बताया कि इन आतंकियों को विदेश में बैठे खालिस्तानी समर्थकों की ओर से फंडिंग की जा रही थी. मोहाली और चंडीगढ़ में इन आतंकियों को पनाह देने के लिए खालिस्तान समर्थक स्लीपर सेल मदद कर रहे थे. इन आतंकियों की कोशिश थी कि उन लोगों पर हमले किए जाएं जो कि सिख विरोधी हैं और उसके बाद सिखों का भावनात्मक समर्थन हासिल किया जाए. ये आतंकी सीमावर्ती इलाकों में हिंसा भड़काने के लिए किसी बड़ी वारदात को भी अंजाम देना चाहते थे. पाकिस्तान, इंग्लैंड और कनाडा में बैठे खालिस्तान समर्थक पंजाब के युवकों को फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया पर आतंकी गतिविधियों के लिए तैयार कर रहे थे.
आतंकी साजिश का खुलासा
सोशल मीडिया पर खालिस्तान समर्थक सोच रखने वाले आतंकियों ने मिलकर खालिस्तान जिंदाबाद नाम का एक नया मॉड्यूल भी तैयार कर लिया है. ये सभी आतंकी हथियार खरीदने और आतंक फैलाने के लिए फंड इकट्ठा करने की कोशिश में भी लगे हुए थे. पंजाब के बठिंडा में 26 मई को 5 लोगों को पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार किया था. वे लोग लूटपाट करते थे लेकिन जब इन लोगों से पूछताछ हुई तो पता लगा कि ये पांचों ही खालिस्तान समर्थक आतंकी हैं। हथियार खरीदने के साथ-साथ अपने मिशन को आगे बढ़ाने के लिए पैसा इकट्ठा करने के लिए लूटपाट करते थे. उनकी निशानदेही पर ही पुलिस ने चंडीगढ़ के नजदीक मोहाली में छिप कर बैठे इन चार आतंकियों को गिरफ्तार किया है.
इन चार आतंकवादियों के मंसूबे जानकर ही पुलिस को पता लगा कि जिस खालिस्तानी आतंकवाद को वे पंजाब में खत्म हो चुका मान रहे हैं। पकड़े गए चारों आतंकी उसकी जड़ें जमाने के लिए काम कर रहे थे । पाकिस्तान, खालिस्तान और इस महत्वकांक्षी भारतीय राजनीतिक दल के बीच हुए अनैतिक गठजोड़ ने फिर से पंजाब में खालिस्तान की जड़ों को सींचकर एक नया भस्मासुर पैदा करने की कोशिश की है। इन गिरफ्तार खालिस्तानी आतंकियों में से एक गुरदयाल सिंह इस राजनीतिक दल के विधानसभा उम्मीदवार के चुनाव प्रचार में भाग ले चुका है, जो खालिस्तानी आतंकियों और इस पार्टी के बीच खतरनाक गठजोड़ का खुलासा करता है। याद रहे कि इस पार्टी के मुखिया ने पंजाब चुनाव के दौरान खालिस्तान कमांडों फ़ोर्स एक पूर्व आतंकी के घर पर रात्रि विश्राम किया था।
    6 जून को आपरेशन ब्लू स्टार की चौंतीसवीं सालगिरह पर स्वर्ण मंदिर अमृतसर में हुए एक कार्यक्रम में खालिस्तान समर्थक कट्टरपंथियों ने खुलेआम "खालिस्तान जिंदाबाद" के नारे लगाए जो भयावह कल का संकेत कर रहे हैं।
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भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए मानसिकता में बदलाव जरूरी

भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए मानसिकता में बदलाव जरूरी : सुनील सत्यम
भ्रष्टाचार रोकने में कई बाधाएं

भ्रष्टाचार के विरुद्ध युद्ध लड रहे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी इस लड़ाई में सैनिक और सेनापति सब कुछ अकेले ही दिखाई दे रहे हैं l यही हाल उत्तर प्रदेश में भी दिखाई दे रहा है जहाँ प्रदेश के मुख्यमंत्री महंत आदित्यनाथ योगी जी अकेले ही भ्रष्टाचार के विरुद्ध मोर्चा संभाले हुए है l देश उस दौर से गुजर रहा है जहाँ भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई में शामिल होकर हर कोई भ्रष्टाचार के विरुद्ध बुलंद आवाज में नारेबाजी करना चाहता है लेकिन वह इससे ज्यादा भूमिका निभाने को तैयार नही है l अपनी बारी आने पर भ्रष्टाचार के विरुद्ध धरनारत अधिकांश व्यक्ति चुपचाप अपनी तिजौरी भरने का कोई नैतिक-अनैतिक मार्ग छोड़ना नही चाहते है l
       भ्रष्टाचार एक शाश्वत सत्य है जिसको समूल नष्ट करना तब तक असंभव है जब तक व्यक्ति की मानसिकता में अमूल-चुल परिवर्तन न हो l अपने आप को सत्यवादी राजा हरीशचन्द्र की संतान घोषित करने वाले भी जरूरत पड़ने पर अपना काम निकालने के लिए स्वयं बदले में रूपये या अमूल्य उपहार का प्रलोभन देने में संकोच नही करते हैं l
शासन तंत्र से भ्रष्टाचार समाप्त करने में कई बाधाएं हैं l जहाँ निर्णय में विवेक का पुट ज्यादा होता है वहां भ्रष्टाचार पनपने की संभावनाएं अधिक बलवती होती हैं l जब तक सरकार निर्णयों के सम्बन्ध में कोई निर्धारित प्रारूप लेकर नही आती है तब तक विवेक की आड़ में भ्रष्टतंत्र द्वारा निरीह जनता का खून चूसा जाता रहेगा l प्रदेश में भूमि हस्तांतरण में दाखिल-ख़ारिज के मामलो में अधिकारी स्तर से जानबूझकर देरी की जाती है ताकि समबन्धित पक्ष अधिकारी के पास आये और कुछ भेंट अर्पण करे l भू-उपयोग प्रतिरूप में तीस हजार प्रति बीघा का रेट सरेआम है l दाखिल ख़ारिज के मामलों में राजस्व संहिता 2006 में स्पष्ट रूप से यह तय किया गया है कि किस भूमि में किसका हित निहित हो सकता है और किसका नही , इसके बावजूद नायब तहसीलदार द्वारा किसी भी व्यक्ति की आपत्ति " साक्ष्य प्रस्तुत करें" नोटिंग करके स्वीकार कर ली जाती है और फिर मौल-भाव शुरू होता है l उसके लिए मामलों को जानबूझकर लंबित किया जाता है l राजस्व संहिता में विवादित मामलों का 90 दिन में निस्तारण करने की समय सीमा तय कर दी गई है लेकिन फिर भी मामलों को लटकाकर रखा जाना आम बात है l ऐसे भी कई उदहारण सामने है जिनमे नायब तहसीलदार द्वारा दाखिल-ख़ारिज करने के अपने ही आदेश को स्वयं ही अग्रिम आदेशों तक स्थगित कर दिया गया l जबकि यह पदानुक्रम के सिद्धांत के खिलाफ है l कोई अधिकारी यदि स्वयं ही अपने आदेश को स्थगित कर देगा तो इससे न्याय का सिद्धांत ही चरमरा जायेगा और भ्रष्टाचार पनपेगा l  
मलाईदार पोस्टिंग: भ्रष्टाचार की चाबी
मलाईदार पोस्टिंग की अवधारणा भ्रष्टाचार की चाबी है l असरदार और रसूखदार, अधिकारी मलाईदार पोस्टिंग के लिए हर कीमत देने को तैयार रहते हैं l ऐसे मामलों में स्थानांतरण नीति की खूब धज्जियाँ उड़ाई जाती हैं l उत्तर प्रदेश में अधिकांश अधिकारी/कर्मचारी अपेक्षाकृत अधिक संपन्न पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पोस्टिंग चाहते हैं ताकि वे भी इसकी समृद्धि की मलाई में हिस्सेदारी निभा सके l वास्तव में यदि देखा जाए तो स्थानांतरण नीति का लाभ भी यही रसूखदार लोग पैसे के बल पर लेते हैं l हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने ट्रान्सफर-पोस्टिंग में भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए नई स्थानान्तरण नीति घोषित की है जिसके अनुसार कोई अधिकारी एक जनपद में तीन तथा मंडल में 6 वर्ष से अधिक नियुक्त नहीं रह सकता है l यदि नीति घोषित होने के एक सप्ताह के अन्दर स्थानांतरण कर दिए जाते तो इस बात की लगभग नगण्य संभावना रहती कि ट्रान्सफर-पोस्टिंग में कोई भ्रष्टाचार हो पाता ! लेकिन अब ऐसी खबरे आ रही हैं कि घाघ एवं शातिर लोगों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी जी की मुहिम को पलीता लगाने का इस नीति के अंदर ही जुगाड़ तलाश कर लिया है l ट्रान्सफर के लिए सिफारिश के मामले बहुत कम सामने आएंगे, मलाईदार पोस्टिंग के लिए कथित मार्किट में कुछ दलाल एक तय धनराशि पर मनचाही जगह ट्रान्सफर के लिए पैकेज लिए घूम रहे हैं l नीति के अनुसार ट्रान्सफर के लिए ऑनलाइन विकल्प पहले भी मांगे जाते रहें है लेकिन कम ही मामलों में इसका पालन हुआ है और अधिकांश मामलों में ट्रान्सफर के लिए  "ऑनलाइन" विकल्प देने वाले अधिकारीयों को पोस्टिंग नही दी गई हैं l देखना यह होगा कि क्या नए परिवेश में इस पर अमल होगा ?
ट्रान्सफर-पोस्टिंग में भ्रष्टाचार रोकने के लिए सरकार को स्थानातरण नीति के तहत  " ऑटो-ट्रान्सफर " के बारे में विचार करना चाहिए l ताकि किसी विभाग की अलग-अलग शाखाओं में चक्रानुक्रम में अधिकारीयों का स्वतः स्थानातरण होता रहे l कोसिस की जानी चाहिए कि अधिकारीयों की पोस्टिंग उनके भौगोलिक क्षेत्रों (जैसे पूरब, पश्चिम आदि ) में ही की जाए, इस प्रवृत्ति से "खसोटू" प्रवृत्ति पर अंकुश लगाया जा सकता है l
दफ्तरों के हजार चक्कर: भ्रष्टाचारोन्मुख करते हैं
      किसी जायज़ अधिकार/ काम के लिए सरकारी कर्मचारियों द्वारा  नागरिकों से सरकारी दफ्तरों के इतने चक्कर लगवाएं जाते हैं कि थक हार कर व्यक्ति ऐसा रास्ता तलाशता है जिससे उसका काम आसानी से हो जाये और रोज रोज उसे किसी दफ्तर के चक्कर न लगाने पड़े l  यह एक ऐसी प्रवृत्ति है जिस पर अंकुश लगाने का कोई तरीका नही खोजा गया है l इसका निवारण सिर्फ सरकारी कार्यों को "समयबद्ध ऑनलाइन निस्तारण" से ही किया जा सकता है l जीएसटी के लागू होने से इस प्रवृत्ति पर बहुत हद तक लगाम लग जाएगी l
  सार यह है कि जब तक आम आदमी की मानसिकता में परिवर्तन नही आयेगा और वह यह संकल्प नही लेगा कि मै भ्रष्टाचार के विरुद्ध लडे जा रहे इस युद्ध में अपने पूरे मनोयोग से भाग लूँगा, तब तक जीत कठिन है l इस लड़ाई में हमें तात्कालिक रूप से हानि भी उठानी पड सकती है लेकिन इसके परिणाम सुखद होंगे और भारत को एक वैभवशाली राष्ट्र के रूप में पुनर्स्थापित करेंगे l
(# लेखक वाणिज्यकर विभाग उ.प्र. में सहायक आयुक्त हैं l यहाँ प्रकाशित लेख लेखक की निजी राय हैं l)


देश विरोधी राजनीति का खालिस्तानी कनेक्शन!

यह अचानक नही हो सकता है कि ऑपरेशन ब्लू स्टार के 3 दशकों के बाद पंजाब में अचानक खालिस्तान समर्थक गतिविधियां बढ़ जाएं !
फरवरी 2017 के पंजाब विधान सभा चुनाव को देश की एक क्षेत्रीय पार्टी ने खुद को राष्ट्रीय पार्टी के रूप में स्थापित करने के सुनहरे अवसर के रूप में देखा और इसे जीतकर पंजाब में सरकार बनाने के सपने देखने शुरू कर दिए। पंजाब में पहले भी विधान सभा चुनाव होते रहे हैं लेकिन कभी भी किसी पार्टी ने चुनाव जीतने के लिए कनाडा के रुख नही किया ! लेकिन 2017 का पंजाब विधान सभा चुनाव इस मामले में अलग था । इस राजनीतिक दल ने पंजाब में बिना किसी आधार के मीडिया मैनेजमेंट और कथित चुनाव पूर्व सर्वे के द्वारा 2016 के प्रारम्भ से ही ऐसा माहौल बनाना शुरू कर दिया कि इस बार पंजाब में उसकी सरकार बन रही है । इस पार्टी ने अपने एक नेता को पंजाब का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया जिसने पंजाब में कम और कनाडा में अधिक समय बिताया। इस पार्टी की राष्ट्रीय समिति के एक सदस्य से मेरी 2016 के प्रारम्भ में बात हुई थी जिसने मुझे पार्टी की पंजाब चुनाव रणनीति और खालिस्तान समर्थकों द्वारा पार्टी को आर्थिक मदद व चुनाव जिताने के लिए मदद के वायदे के बारे में बताया था।उस समय मुझे उसकी बातों पर तनिक भी विश्वास नही हुआ लेकिन धीरे धीरे सच्चाई सामने आने लगी।उस पार्टी के नेताओं की कनाडा यात्रा के बारे में खबरे बाहर आने लगी। आपको बता दूं कि कनाडा पाकिस्तान के बाद, खालिस्तानी आतंकियों का सबसे बड़ा अड्डा बना हुआ है।
   पंजाब चुनाव के दौरान प्रदेश में खालिस्तान समर्थकों को गतिविधियां अचानक बढ़ने लगी।कई खालिस्तानी आतंकियों को इस राजनीतिक दल की चुनाव सभाओं में देखा गया।इस बात की संभावना से इनकार नही किया जा सकता कि खालिस्तानी चैनल के माध्यम से पाकिस्तान ने भी इस पार्टी को पंजाब चुनाव के दौरान फंडिंग की हो!
यह अकारण नही हो सकता कि इस पार्टी का मुखिया 29 सितंबर 2016 को भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान पर किये गए सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे ! ज्ञातव्य है कि पाकिस्तानी आतंकी हाफिज सईद खुलेआम इस सबूत मांगने वाले नेता की तारीफ कर चुका है। सबूत मांगने के पीछे पार्टी को फंडिंग करने वाले खालिस्तानियों और पाकिस्तानियों की नाराजगी मोल न लेना बड़ा कारण हो सकता है?
   इस पार्टी के मुखिया पर शुरू से ही खालिस्तानी समर्थक आतंकियों से समर्थन लेने के आरोप लगते रहे है! पंजाब चुनाव में पार्टी को पैसो की काफी जरुरत थी  यह बात को खालिस्तान समर्थक काफी अच्छे से जानते थे, इसी बात को जानते हुए खालिस्तान समर्थकों ने भी इस राजनीतिक दल में खूब दिलचस्पी ली! इस पार्टी के सहारे वो राज्य की राजनीति में पर्दे के पीछे से पकड़ बनाने की कोशिश में हैं! यूरोप और दूसरे देशों में कारोबार कर रहे सिख समुदाय के पास पैसे की कोई कमी नहीं है! इनमें से कई लोगों के पास अच्छी खासी मात्रा में ब्लैकमनी भी है! यही ब्लैकमनी चंदे की शक्ल में इस राजनीतिक पार्टी को पहुंचाई गई ।जिसके बदले में इन खालिस्तानी संगठनों की मांग की चुनाव में  उनकी पसंद के उम्मीदवार उतारे जाएं! कई खालिस्तानी नेताओं ने बाकायदा कैंडिडेट स्पॉन्सर भी किये।
       पंजाब में एक बार फिर खालिस्तान समर्थक आतंकवादियों की गतिविधियां बढ़ गई हैं. बीती 21 मई को पंजाब पुलिस और BSF ने संयुक्त ऑपरेशन में अमृतसर के पास अजनाला से दो खालिस्तानी आतंकियों को पाकिस्तान से आए हथियारों की डिलीवरी लेते हुए गिरफ्तार किया था। बीते दिनों पंजाब पुलिस की इंटेलिजेंस विंग और मोहाली पुलिस ने साझा ऑपरेशन में खालिस्तान जिंदाबाद नाम के एक नए टेरर मॉड्यूल का खुलासा किया है.
पंजाब को सुलगाने की साजिश
पंजाब पुलिस और बीएसएफ के हत्थे चढ़े चार आतंकियों ने पूछताछ के दौरान इस नए खालिस्तानी टेरर मॉड्यूल का खुलासा किया है. पकड़े चारों आतंकी इस मॉड्यूल को खड़ा करने की कोशिश कर रहे थे. जानकारी के मुताबिक 1984 के सिख दंगों के मुख्य आरोपी रहे कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर इन आतंकियों के निशाने पर थे. साथ ही पंजाब में सिख धर्म के ग्रंथों की बेअदबी करने वाले लोग भी इनके निशाने पर थे. इन आतंकियों की कोशिश थी कि कोई बड़ी वारदात करके पंजाब की शांति भंग की जाए।
मोहाली के एसएसपी कुलदीप चहल ने जानकारी देते हुए बताया कि इन आतंकियों को विदेश में बैठे खालिस्तानी समर्थकों की ओर से फंडिंग की जा रही थी. मोहाली और चंडीगढ़ में इन आतंकियों को पनाह देने के लिए खालिस्तान समर्थक स्लीपर सेल मदद कर रहे थे. इन आतंकियों की कोशिश थी कि उन लोगों पर हमले किए जाएं जो कि सिख विरोधी हैं और उसके बाद सिखों का भावनात्मक समर्थन हासिल किया जाए. ये आतंकी सीमावर्ती इलाकों में हिंसा भड़काने के लिए किसी बड़ी वारदात को भी अंजाम देना चाहते थे. पाकिस्तान, इंग्लैंड और कनाडा में बैठे खालिस्तान समर्थक पंजाब के युवकों को फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया पर आतंकी गतिविधियों के लिए तैयार कर रहे थे.
आतंकी साजिश का खुलासा
सोशल मीडिया पर खालिस्तान समर्थक सोच रखने वाले आतंकियों ने मिलकर खालिस्तान जिंदाबाद नाम का एक नया मॉड्यूल भी तैयार कर लिया है. ये सभी आतंकी हथियार खरीदने और आतंक फैलाने के लिए फंड इकट्ठा करने की कोशिश में भी लगे हुए थे. पंजाब के बठिंडा में 26 मई को 5 लोगों को पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार किया था. वे लोग लूटपाट करते थे लेकिन जब इन लोगों से पूछताछ हुई तो पता लगा कि ये पांचों ही खालिस्तान समर्थक आतंकी हैं। हथियार खरीदने के साथ-साथ अपने मिशन को आगे बढ़ाने के लिए पैसा इकट्ठा करने के लिए लूटपाट करते थे. उनकी निशानदेही पर ही पुलिस ने चंडीगढ़ के नजदीक मोहाली में छिप कर बैठे इन चार आतंकियों को गिरफ्तार किया है.
इन चार आतंकवादियों के मंसूबे जानकर ही पुलिस को पता लगा कि जिस खालिस्तानी आतंकवाद को वे पंजाब में खत्म हो चुका मान रहे हैं। पकड़े गए चारों आतंकी उसकी जड़ें जमाने के लिए काम कर रहे थे । पाकिस्तान, खालिस्तान और इस महत्वकांक्षी भारतीय राजनीतिक दल के बीच हुए अनैतिक गठजोड़ ने फिर से पंजाब में खालिस्तान की जड़ों को सींचकर एक नया भस्मासुर पैदा करने की कोशिश की है। इन गिरफ्तार खालिस्तानी आतंकियों में से एक गुरदयाल सिंह इस राजनीतिक दल के विधानसभा उम्मीदवार के चुनाव प्रचार में भाग ले चुका है, जो खालिस्तानी आतंकियों और इस पार्टी के बीच खतरनाक गठजोड़ का खुलासा करता है। याद रहे कि इस पार्टी के मुखिया ने पंजाब चुनाव के दौरान खालिस्तान कमांडों फ़ोर्स एक पूर्व आतंकी के घर पर रात्रि विश्राम किया था।
    6 जून को आपरेशन ब्लू स्टार की चौंतीसवीं सालगिरह पर स्वर्ण मंदिर अमृतसर में हुए एक कार्यक्रम में खालिस्तान समर्थक कट्टरपंथियों ने खुलेआम "खालिस्तान जिंदाबाद" के नारे लगाए जो भयावह कल का संकेत कर रहे हैं।