Tuesday, September 13, 2016

कुरान का विज्ञान


"अल्लाह वह है जिसने-"आकाशों (मतलब कुरान के अनुसार अनेक आकाश हैं) को बिना सहारे के ऊंचा बनाया जैसा कि तुम देखते हो। फिर वह सिंहासन पर आसीन हो गया । उसने सूर्य और चंद्रमा को काम पर लगाया। हर एक नियत समय के लिए चला जा रहा है। वह सारे काम का विधान कर रहा है। (सूरा;13-2)

   "और वही है जिसने धरती को फैलाया (मतलब धरती चपटी है) और उसमे जमे हुए ( ? ) पर्वत एवं नदियां बनाई और हरेक पैदावार कि दो दो किस्मे (जबकि धान जैसी फसलों की हिंदुस्तान मे 3-3 किस्मे (मौसमनुसार)-ऑस,अमन,बौरों है ) बनाई। वही रात से दिन को छिपाता है (जबकि रात दिन पृथ्वी की अपनी धूरी पर गति के कारण है ) (सूरा 13-3)
"हमने धरती को फैलाया और उसमे अटल पहाड़ डाल दिये और उसमे हर चीज नपे तुले अंदाज़ मे उगाई।....हम ही वर्षा लाने वाली हवाओं को भेजते हैं और उससे तुम्हें सिंचित करते हैं।' (सूरा 15,19-25)25
"मै सड़े हुए गारे की खनखनाती हुई मिट्टी से एक मनुष्य पैदा करने वाला हूँ। " (सूरा 15.26-43)
"उसने मनुष्य को एक बूंद से पैदा किया " (सूरा 16.4-9)
"वही है जिसने आकाश से तुम्हारे लिए पानी उतारा जिसे तुम पीते हो और उसी से पेड़ और वनस्पतियाँ भी उगती हैं। " (सूरा 16.10-11)

"और उसने तुम्हारे लिए रात और दिन को और सूर्य और चंद्रमा को (मतलब रात-दिन और सूर्य चन्द्रमा मे कोई आपसी संबंध नहीं है।) को कार्यरत कर रखा है। (सूरा 16.12-13)
"अल्लाह ने ही आकाश से पानी बरसाया और फिर उसके द्वारा धरती को उसके मृत हो जाने के बाद जीवित किया" (सूरा 16.65)
"और अल्लाह ने ही तुम्हारे लिए तुम्हारी सहजाति पत्नियाँ बनाई॥"(सूरा 16.72-74)
"  और तुम सूर्य को उसके उदित होते समय देखते तो वह उनकी (कुछ नवयुवको का किस्सा जो अपने रब पर ईमान लाये थे ! के वर्णन के दौरान का प्रसंग) गुफा से दाहिनी और को बचकर निकल जाता है और जब अस्त होता है तो उनकी बाईं और से कतराकर निकल जाता है। " (सूरा 18.17-18)
 "जिसने तुझे मिट्टी से, फिर वीर्य से पैदा किया, फिर तुझे एक पूरा आदमी बनाया।" (सूरा 18.32-44)
"याद करो जब मूसा ने अपने युवा सेवल से कहा 'जब तक मै दो दरियाओं के संगम तक न पहुँच जाऊँ चलना नहीं छोडुंगा, चाहे मै यूं ही दीर्घकाल तक सफर करता रहूँ।' फिर जब वे दोनों संगम पर पहुंचे तो वे अपनी मछली से गाफिल हो गए और उस मछली ने दरिया मे सुरंग बनाते हुए अपनी राह ली" (सूरा 18.60-65)
   मूसा द्वारा वर्णित सम्राट जुलकरनैन के हाल का वर्णन है । जहां खुद मूसा ने सूर्यास्त के बारे मे बताया है '
" उसने एक अभियान का आयोजन किया। यहाँ तक कि जब वह  सूर्यास्त स्थल तक पहुंचा तो उसे मटमैले काले पानी की एक झील मे डूबते हुए पाया और उसके निकट उसे एक कौम मिली" (सूरा 18.84-88)
"फिर उसने एक और अभियान किया। यहाँ तक कि जब वह सूर्योदय की दिशा मे एक स्थान पर जा पहुंचा  तो उसने सूर्य को ऐसे लोगों पर उदित होते पाया जिनके लिए हमने सूर्य के मुक़ाबले मे कोई ओट नहीं रखी थी' (सूरा 18.89-91)

जारी॰ ॰॰
(स्रौत; पवित्र कुरान,सुगम हिन्दी अनुवाद, अरबी से उर्दू अनुवाद मौलाना मुहम्मद फारुख खान, उर्दू से हिन्दी अनुवाद डॉ मुहम्मद अहमद , मधुर संदेश संगम प्रकाशन नई दिल्ली-110025 संस्कारण 2015 ISBN No॰ 978-81-920697-0-8 )


















Saturday, September 10, 2016

Vivechana

किसी कथन/कानून/श्लोक/आयत आदि की व्यक्तिगत विवेचना(Interpretation) महत्वपूर्ण होती है. विवेचक जब किसी चीज की विवेचना करता है तो उसके अपने कुछ निहित हित होते है हालांकि यह उसके व्यक्तिगत ज्ञान और विवेक का परिचायक भी होता है..इस्लाम के विषय में गैर-इस्लामिक और इस्लामिक दोनों ही लोगों की जानकारी की अपनी अपनी सीमाएं है.पवित्र कुरआन मूल रूप से अरबी भाषा में लिखी गई. खासकर भारत में मुसलामानों में भी अरबी के कम ही जानकार है.इसलिए कुरआन के अन्य भाषाओं के अनुवादित संस्करण ही उपलब्ध हैं जिनमे आयातों की विवेचना अनुवादक के विवेक एवं ज्ञान से प्रभावित है.अरबी में अल्लाह,तुर्की में तारक,उर्दू में खुद एवं रब उपरवाले को दिए गए विशेषण हैं. खासबात यह है की ऊपर वाला शब्द सभी धर्मों को आपस में जोड़ता है क्योंकि ईश्वर के पर्यायवाची के रूप में सभी इस शब्द को स्वीकार करते है.कोई भी धर्म नफ़रत को मान्यता नहीं देता है,इस्लाम का तो शाब्दिक अर्थ ही सलामत है अर्थात सभी की सलामती को मानने वाला पंथ.गाँवों में तो अभिवादन के रूप में साहब सलामत शब्द खूब प्रयोग किया जाता है जिसका अर्थ है क्या आप सलामत हैं? जेहाद शब्द धर्म के अन्दर आ गई कुरीतियों से धर्म की रक्षा के लिए किये जाने वाले प्रतिधर्म सुधार प्रयासों के लिए होता है लेकिन कुछ उन्मादी एवं ज़ाहिल इस शब्द की गलत व्याख्या करते है..वंदेमातरम् गाने को लेकर भी कम अकलियत वाले हाय तौबा मचाते है. यदि मुहम्मद साहब ने किसी उपकारी के लिए सम्मान प्रदर्शित करने की मनाही की होती तो नमाज़ अता करने में धरती की और सिर झुकाने और दंडवत करने की प्रक्रिया ही न होती, अप्रत्यक्ष रूप से तो नमाज़ अता करते वक्त ही एक सच्चा अल्लाह का स्मरण करते हुवे दिन में पांच बार धरती माँ का भी सजदा करता है. वन्देमातरम् के ठेकेदारों से कहीं ज्यादा एक सच्चा मुसलमान माँ की वंदना करता है..इबादत और वंदना में एक मूल फर्क है जिसे हम सब यदि समझ ले तो गैर जरुरी विवाद खड़े नहीं होंगे-इबादत सिर्फ उपरवाले की होती है और वंदना आप चाहे जिसकी करे...मा,बाप,मातृभूमि..आदि.

Friday, September 2, 2016

वन गुर्जरी बहन फातिमा

वनगुर्जरि बहन फातिमा की दास्ताँ..

वनगुर्जरि बहन फातिमा देधड,शाकुम्भरी खोल में रहने वाली वनगुर्जर है.इनका जीवन अत्यंत संघर्षपूर्ण है.सुबह से शाम तक आजीविका के संघर्ष में गुजरता है.इनके पास 6 भैंस है जिनके चारे पानी की व्यवस्था इनको अपने पति सैफ कसना के साथ मिलकर करनी होती है.पशुओं के लिए पानी की तो समस्या नहीं है क्योंकि पानी खोल में बहता रहता है.लेकिन चारे की समस्या बड़ी है, हालांकि पशुओं का पेट ज्यादातर चरान से ही भरना पड़ता है या पहाड़ों से चारा काटकर लाना पड़ता है जिसमे घासफूंस और पेड़ों की पत्तियां शामिल है..अक्सर वन दारोगाओं से ये परेशानी उठाते है, ऐसा बहन फातिमा ने बताया..फातिमा का पूरा दिन खाना पकाने,पानी की व्यवस्था करने और जंगल से सुखी लकड़ियाँ चुनने में लग जाता है.दिन भर में ₹ 30.00/ किलो की दर से लगभग 6-7 किलो दूध बिक जाता है जो शाकुम्भरी में रहने वाले दुकानदार खरीद लेते हैं.2 से 3 हजार रुपये की लकड़ियाँ भी जंगल से चुन कर फातिमा बहन का परिवार बेच लेता है. साल भर में वनविभाग के अधिकारियों को भी चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है..इंधन के लिए बचाने के बाद थोड़ी बहुत लकड़ी बच जाती है, उसकी बिक्री कर देते हैं.फातिमा बहन को अभी कोई संतान नहीं है..
फातिमा बहन का जीवन बहुत संघर्ष पूर्ण है..जब मैंने सैफ से पूछा की क्या तुम जानते हो की तुम जंगलों में क्यों रहते हो ? जवाब में सैफ ने बताया की जब औरंगजेब ने सताया तो हमारे पुरखे जंगलों में चले गए..! इसके अतिरिक्त सन 1857 में गुर्जरों द्वारा किये गए विद्रोह के बाद जब ब्रिटिश भारत सरकार का दमन चक्र चला था उस समय बहुत से गुर्जर वनों में जा छुपे थे जो कभी बाहर वापस नहीं आये. सैफ ने बताया की उसने बड़ी कठिनाई से बेहट के शान्ति देवी स्कूल से 8वीं कक्षा पास की है और वह आस पास के वनगुर्जरों में सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा है..हालांकि बहन फातिमा नहीं पढ़ पाई.लेकिन उसने वादा किया की वह अपने बच्चों को प्रेमकुल मिशन के माध्यम से खूब पढ़ाएगी..सैफ ने बताया कि अपने गौत्र में शादियाँ नहीं की जाती है. यदि कोई ऐसा कर देता है तो पंचायत उसे समाज से बाहर कर देती है.हाँ मामा की लड़की से यानी माँ के गोत्र में शादी वर्जित नहीं है..

स्वामी बलादेवानंद जी ने प्रेमकुल मिशन की स्थापना की हैं जिसका उद्देश्य वनगुर्जरों के बच्चों को निशुल्क मुख्यधारा की उच्च शिक्षा उपलब्ध कराना है.स्वामी जी के मिशन के तहत ही आज हम वनगुर्जरों से मिलने, उनके दुःख बांटने यहाँ पहुंचे. प्रेमकुल मिशन के लिए स्वामी जी इस क्षेत्र में जमीन की तलाश कर रहे है.स्वामी जी के इस मिशन में मै पूर्णतः उनके साथ हूँ और आप ?