"अल्लाह वह है जिसने-"आकाशों (मतलब कुरान के अनुसार अनेक आकाश हैं) को बिना सहारे के ऊंचा बनाया जैसा कि तुम देखते हो। फिर वह सिंहासन पर आसीन हो गया । उसने सूर्य और चंद्रमा को काम पर लगाया। हर एक नियत समय के लिए चला जा रहा है। वह सारे काम का विधान कर रहा है। (सूरा;13-2)
"और वही है जिसने धरती को फैलाया (मतलब धरती चपटी है) और उसमे जमे हुए ( ? ) पर्वत एवं नदियां बनाई और हरेक पैदावार कि दो दो किस्मे (जबकि धान जैसी फसलों की हिंदुस्तान मे 3-3 किस्मे (मौसमनुसार)-ऑस,अमन,बौरों है ) बनाई। वही रात से दिन को छिपाता है (जबकि रात दिन पृथ्वी की अपनी धूरी पर गति के कारण है ) (सूरा 13-3)
"हमने धरती को फैलाया और उसमे अटल पहाड़ डाल दिये और उसमे हर चीज नपे तुले अंदाज़ मे उगाई।....हम ही वर्षा लाने वाली हवाओं को भेजते हैं और उससे तुम्हें सिंचित करते हैं।' (सूरा 15,19-25)25
"मै सड़े हुए गारे की खनखनाती हुई मिट्टी से एक मनुष्य पैदा करने वाला हूँ। " (सूरा 15.26-43)
"उसने मनुष्य को एक बूंद से पैदा किया " (सूरा 16.4-9)
"वही है जिसने आकाश से तुम्हारे लिए पानी उतारा जिसे तुम पीते हो और उसी से पेड़ और वनस्पतियाँ भी उगती हैं। " (सूरा 16.10-11)
"और उसने तुम्हारे लिए रात और दिन को और सूर्य और चंद्रमा को (मतलब रात-दिन और सूर्य चन्द्रमा मे कोई आपसी संबंध नहीं है।) को कार्यरत कर रखा है। (सूरा 16.12-13)
"अल्लाह ने ही आकाश से पानी बरसाया और फिर उसके द्वारा धरती को उसके मृत हो जाने के बाद जीवित किया" (सूरा 16.65)
"और अल्लाह ने ही तुम्हारे लिए तुम्हारी सहजाति पत्नियाँ बनाई॥"(सूरा 16.72-74)
" और तुम सूर्य को उसके उदित होते समय देखते तो वह उनकी (कुछ नवयुवको का किस्सा जो अपने रब पर ईमान लाये थे ! के वर्णन के दौरान का प्रसंग) गुफा से दाहिनी और को बचकर निकल जाता है और जब अस्त होता है तो उनकी बाईं और से कतराकर निकल जाता है। " (सूरा 18.17-18)
"जिसने तुझे मिट्टी से, फिर वीर्य से पैदा किया, फिर तुझे एक पूरा आदमी बनाया।" (सूरा 18.32-44)
"याद करो जब मूसा ने अपने युवा सेवल से कहा 'जब तक मै दो दरियाओं के संगम तक न पहुँच जाऊँ चलना नहीं छोडुंगा, चाहे मै यूं ही दीर्घकाल तक सफर करता रहूँ।' फिर जब वे दोनों संगम पर पहुंचे तो वे अपनी मछली से गाफिल हो गए और उस मछली ने दरिया मे सुरंग बनाते हुए अपनी राह ली" (सूरा 18.60-65)
मूसा द्वारा वर्णित सम्राट जुलकरनैन के हाल का वर्णन है । जहां खुद मूसा ने सूर्यास्त के बारे मे बताया है '
" उसने एक अभियान का आयोजन किया। यहाँ तक कि जब वह सूर्यास्त स्थल तक पहुंचा तो उसे मटमैले काले पानी की एक झील मे डूबते हुए पाया और उसके निकट उसे एक कौम मिली" (सूरा 18.84-88)
"फिर उसने एक और अभियान किया। यहाँ तक कि जब वह सूर्योदय की दिशा मे एक स्थान पर जा पहुंचा तो उसने सूर्य को ऐसे लोगों पर उदित होते पाया जिनके लिए हमने सूर्य के मुक़ाबले मे कोई ओट नहीं रखी थी' (सूरा 18.89-91)
जारी॰ ॰॰
(स्रौत; पवित्र कुरान,सुगम हिन्दी अनुवाद, अरबी से उर्दू अनुवाद मौलाना मुहम्मद फारुख खान, उर्दू से हिन्दी अनुवाद डॉ मुहम्मद अहमद , मधुर संदेश संगम प्रकाशन नई दिल्ली-110025 संस्कारण 2015 ISBN No॰ 978-81-920697-0-8 )