Saturday, February 24, 2018

राष्ट्रोदय

25 फरवरी 2018 को मेरठ की क्रांति धरा 1857 की महान क्रांति के बाद एक बार फिर इतिहास रचेगी। अमेरिका,कनाडा ,ब्रिटेन सहित दस अन्य देशों सहित दो लाख इक्यावन हजार से अधिक स्वयंसेवक यहां जागृति विहार में एकत्र होकर सम्पूर्ण विश्व को समरसता के साथ जाग्रत हिन्दू शक्ति का संदेश देंगे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वाराब1925 में ऊनी स्थापना के बाद यह इसके इतिहास का सबसे बड़ा आयोजन होने जा रहा है,जिसे संघ के सर संघचालक मोहन राव भागवत संबोधित करेंगे।
कार्यक्रम स्थल पर रथाकार मंच बनाया गया है जिसपर ग्लोब में भारत माता का चित्र दर्शाया गया है।इस पर संघ के प्रथम एवं द्वितीय सरसंघचालकों का चित्र भी लगाया गया है।यह मंच 92 फ़ीट ऊंचा है जिसके पीछे 182 फ़ीट लम्बा बैक ड्राप लगाया गया है। यहां भगवा ध्वज फहरनेबके लिए 101 फ़ीट लम्बा स्टील पोल लगाया गया है। कार्यक्रम स्थल पर नौ हजार लाउडस्पीकर लगे हैं। यह अपने आप में अद्भुद होगा कि कार्यक्रम में भागीदारी करने वाले सभी दो लाख इक्यावन हजार से अधिक स्वंयसेवकों के भोजन के लिए संघ से जुड़े परिवारों के घर से भोजन के पैकेट भेजे जाएंगे।भोजन निर्माण के लिए अलग से कोई व्यवस्था नही की गई है।कार्यक्रम स्थल की बाहरी सुरक्षा उत्तर प्रदेश पुलिस एवं एटीएस संभालेगी लेकिन आंतरिक सुरक्षा के लिए संघ के स्वयंसेवको पर ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भरोसा जताया है।
राजनीतिक पंडित राष्ट्रोदय कार्यक्रम को 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए संघ का शक्ति परीक्षण मान रहे हैं।
कुछ भी हो राष्ट्रोदय कार्यक्रम से सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों तक संघ की शाखाओं के व्यापक विस्तार की संभावना है।ऐसा होने से राष्ट्रवादी शक्तियां अधिक मजबूत होकर उभरेंगी जो छद्म-धर्मनिरपेक्ष ताकतों को कड़ी चुनौती प्रस्तुत करेंगी।साफ है कि आगामी दशकों में भारत में राष्ट्रवादी शक्तियों का दबदबा कायम रहने वाला है।

Thursday, February 22, 2018

पूर्वोत्तर पर मंडराता खतरा..


सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत द्वारा पूर्वोत्तर राज्यों की सुरक्षा एवं बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ पर दिए बयान पर कई पार्टियों ने आदतन राजनीतिक रोटियां सेकनी प्रारम्भ कर दी है।किस पार्टी ने सेना प्रमुख की सुरक्षा प्रमेय पर किस प्रकार प्रतिक्रिया दी है,यह मेरे विश्लेषण का विषय नही है।
पूर्वोत्तर राज्यों की सुरक्षा के लिए बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ एक बड़ा खतरा रहा है लेकिन कई सियासी पार्टियों ने इसे अपने राजनीतिक लाभ लेने के कारण हमेशा ही नजरअंदाज किया है। बांग्लादेशी मुस्लिम जनसंख्या की बड़ी संख्या में असम की सीमांत जिलों में घुसपैठ के कारण ही आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट नाम सियासी दल तेजी से उभरा है।इसके अध्यक्ष अजमल खान है जिनका बांग्लादेशी घुसपैठियों को पूरा संरक्षण प्राप्त है।
दरअसल असम के कई जिलों में मुस्लिम जनसंख्या में पिछले वर्षों में अप्रत्याशित दर्ज की गई। इस अप्रत्याशित वृद्धि को सेना प्रमुख गम्भीरता से लिया है।इसी अवैध जनसंख्या के बल पर असम में बदरुद्दीन अजमल की राजनीतिक पार्टी ने अप्रत्याशित सफलता प्राप्त की है।अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ की चर्चा करते हुए सेना प्रमुख ने कहा है कि जनसंघ/भाजपा की तुलना में इस पार्टी ने कई गुणा तेजी से वृद्धि की है जिसका कारण असम के सीमावर्ती जिलों में बांग्लादेशी मुस्लिमों द्वारा घुसपैठ करके मतदाता सूची में खुद को शामिल कराना रहा है।
असम एवं पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में बांग्लादेश से हो रही घुसपैठ के लिए सेना प्रमुख ने दो प्रमुख कारकों को जिम्मेदार माना है।
1- बांग्लादेश में अधिक जनसंख्या घनत्व की तुलना में मानसूनी समय मे रहने के लिए अपर्याप्त भूमि।
2-चीन एवं पाकिस्तान द्वारा सुनियोजित तरीके से भारत को खंडित करने की नीयत से घुसपैठ कराना।

सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत का मानना है कि छद्मयुद्ध की रणनीति के तहत पाकिस्तान, पूर्वोत्तर को अशांत रखने के उद्देश्य से चीन के सहयोग से वहां ‘योजनाबद्ध’ तरीके से बांग्लादेश से मुस्लिमों की अवैध घुसपैठ करवा रहा है। सेना प्रमुख ने बदरुद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ की 1980 के दशक में स्थापित भारतीय जनता पार्टी के क्रमिक विकास के साथ तुलना करते हुए कहा कि राज्य में अजमल की पार्टी का उभार भाजपा के विकास से अधिक तेज रहा।दरअसल सेना प्रमुख के नाते जनरल बिपिन रावत छद्मयद्ध के द्वारा दुश्मन द्वारा पूर्वोत्तर क्षेत्र पर नियंत्रण की योजना के प्रति चिंता जाहिर कर रहे थे जिसके रणनीतिक एवं उपयुक्त कारण उपलब्ध हैं। जनरल रावत का मुस्लिम घुसपैठ संबंधी बयान राजनीतिक कार्यक्रम में नही बल्कि पूर्वोत्तर की सुरक्षा से संबंधित सम्मेलन में दिया गया है।अतः सेना प्रमुख के बयान के राजनीतिक निहितार्थ निकालने वाले नेता एवं दल जानबूझकर पूर्वोत्तर जैसे संवेदनशील क्षेत्र की वास्तविक समस्या से देश का ध्यान हटाकर इसे राजनीतिक एवं धार्मिक रंग दे रहे हैं,जो सीमा सुरक्षा के दृष्टिकोण से बेहद खतरनाक मनोवृत्ति है।जनरल रावत ने देश के पश्चिमी पड़ोसी की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा है कि, ‘हमारे पश्चिमी पड़ोसी के चलते योजनाबद्ध तरीके से अवैध घुसपैठ हो रही है।उसकी हमेशा कोशिश रहती है और वह सुनिश्चित करना चाहता है कि परोक्ष युद्ध के जरिए पूर्वोत्तर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया जाए।’ यह कार्य पाकिस्तान द्वारा चीन की मदद से किया जा रहा है। सेना प्रमुख का कहना है कि ‘मैं समझता हूं कि हमारा पश्चिमी पड़ोसी इस क्षेत्र को समस्याग्रस्त बनाए रखने के लिए हमारे उत्तरी पड़ोसी (चीन) की मदद से बहुत अच्छी तरह परोक्ष युद्ध खेलता है। हमें भविष्य में कुछ और प्रवासन नजर आयेंगे।जिसका हल समस्या की पहचान और समग्र दृष्टि से उसपर गौर करने में ही निहित है।" असम में अवैध बांग्लादेशियों की घुसपैठ वर्षों से एक बड़ा मुद्दा है।इसी मुद्दे पर पिछले वर्षों में वहां भाजपा सरकार बना चुकी है। राज्य सरकार राज्य में अवैध ढ़ंग से रह रहे लोगों का पता लगाने के लिए अब राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर तैयार करवा रही है।ताकि अवैध घुसपैठ करने वालों को मतदान एवं अन्य आवश्यक नागरिक अधिकारों से वंचित किया जा सके।
ज्ञातव्य है कि 1984 में भाजपा ने महज दो सीटें जीती थीं जिसका जिक्र करते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि ‘एआईयूडीएफ नामक एक पार्टी है।यदि आप उस पर नजर डालें तो आप पायेंगे कि भाजपा को उभरने में सालों लग गए, जबकि वह पार्टी बिल्कुल कम समय में उभरी।’ उन्होंने कहा, ‘एआईयूडीएफ असम में तेजी से बढ़ रही है।’ यह दल मुस्लिमों के पैरोकार के रुप में 2005 में बना था और फिलहाल लोकसभा में उसके तीन सांसद और असम विधानसभा में 13 विधायक हैं।
असम की जनसंख्या पर एक नजर:
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असम में बांग्लादेशी मुस्लिमों की अवैध घुसपैठ के चलते वर्ष 1991 से 2001 के बीच असम के छह जिले मुस्लिम बहुल हो चुके हैं। विदेशी मिशनरी और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई पूर्वोत्तर राज्यों में भारत विरोधी षड्यंत्रों में लिप्त हैं।
ये विदेशी ताकतें विद्रोही उल्फा एवं नागालैंड के विद्रोही गुटों के साथ इस क्षेत्र में हिंदी भाषियों पर आक्रमण करके उन्हें आतंकित एवं हत्याएं करते हैं ताकि पूर्वोत्तर को राष्ट्रवादी ताकतों से खाली करवाकर,सुनियोजित तरीके से अवैध बांग्लादेशियों को बसाकर,पूर्वोत्तर क्षेत्र पर कब्जा किया जा सके।


उल्फा लम्बे समय से बिहार एवं उत्तर प्रदेश से असम में रोजगार के लिए गए लोगों को अपना निशाना बना रही है। हिन्दी भाषी इलाकों में आए दिन बम विस्फोट हो रहे हैं। इस कारण असम से हिन्दी भाषी लोग पलायन भी कर रहे हैं। श्रमिकों की भरपाई षड्यंत्र के अनुसार बंगलादेशी मुसलमानों से की जा रही है। और देखते-देखते असम में मुसलमानों की जनसंख्या में जबरदस्त बढ़ोत्तरी होती जा रही है।
असम में सन् 1991 से 2001 तक दस वर्ष में मुसलमानों की जनसंख्या में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है। मुस्लिमों की सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी निचले असम के नगांव जिले में हुई है। वहां मुस्लिमों की संख्या में 2,86,954 की वृद्धि हुई है। ध्यान रहे, यह केवल एक जिले की बात है। आज असम के 6 जिलों में मुसलमानों की संख्या हिन्दुओं से अधिक है। वे जिले हैं, 1. धुबरी  2. ग्वालपारा 3. 4. नगांव 5. करीमगंज 6. हैलाकाण्डी। असम में मुसलमानों की आबादी की तीव्र वृद्धि के पीछे बंगलादेशी मुस्लिमों की अवैध घुसपैठ सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है। असल में भारत-बंगलादेश के बीच कई स्थानों पर सीमा खुली होने के कारण बंगलादेशी आसानी से असम में प्रवेश कर जाते हैं। बाद में यही लोग, असम में हिन्दी-भाषी मजदूरों की हत्या करके अन्य बंगलादेशी घुसपैठियों को भी बुलाकर मजदूरी दिलवा देते हैं।राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अवैध घुसपैठ एक बड़ा खतरा बनकर उभरी है।असम में मुसलमानों की अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी से वहां रह रहीं जनजातियों और हिन्दू समुदाय पर खतरा मंडराने लगा है। असम के मुस्लिम बहुल जिलों में तेजी से अलगाव भड़क रहा है।
बढ़ती हुई मुस्लिम जनसंख्या के कारण असम के हिन्दू समाज के धार्मिक स्थलों और सत्रों (वैष्णव मंदिर) का अस्तित्व संकट में है। आज असम में 814 सत्रों की 1,080 बीघा जमीन पर मुस्लिम तत्वों ने जबरन कब्जा किया हुआ है।हाल ही में असम राज्य सरकार ने इन सत्रों के संरक्षण के लिए सर्वेक्षण कार्य भी शुरू कर दिया है। ताकि इनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।



Monday, February 12, 2018

नाशित जेहादी

लोकतंत्र एवं धर्मनिरपेक्षता की आड़ में ज़ेहादी ताक़तें वास्तव में इस्लामी शरिया कानून की बाड़बंदी करके देश के संवैधानिक प्रावधानों का शरीयत के प्रति अधिकतम अनुकूलन करना चाहती हैं।जो कि ज़ेहाद का गैर-मुस्लिम देशों में एक अनिवार्य हिस्सा है।दरअसल आल इंडिया सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड,जो कि एक मुस्लिम एनजीओ है और हिन्दुस्थान में ज़ेहाद की गवर्निंग बॉडी है, ने राम मंदिर प्रकरण का सर्वमान्य हल निकालने के लिए बोर्ड के सदस्य मौलाना सलमान हुसैन नदवी ने बयान दिया था कि कुरान में मस्जिद को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किये जाने का प्रावधान है।नदवी के बयान के बाद देश मे तमाम ज़ेहादी ताक़तों में हड़कंप मच गया।इस पर हैदराबाद में में पर्सनल लॉ बोर्ड की आपात बैठक बुलाकर नदवी को बोर्ड से निकाल दिया गया है।

यह एक सामान्य घटना नही है।असल में मौलाना सलमान हुसैन नदवी का बयान ज़ेहाद की "नाशित" विंग के उसूलों के खिलाफ है।इसलिए उन पर तत्काल कार्यवाही करते हुए इस नाशित ज़ेहाद गवर्निंग बॉडी ने नदवी को बाहर का रास्ता दिखा दिया है।नदवी ने पर्सनल लॉ बोर्ड से नाराजगी जाहिर करते हुए इसे तत्काल भंग करने की मांग करते हुए "शरीयत एप्लिकेशन बोर्ड" के गठन का सुझाव रखा है।नदवी का यह प्रस्ताव भी जिहाद की "नाशित" विंग के ही अनुकूल है।देश मे 26 जनवरी 1950 से संविधान लागू है,ऐसे में शरीयत एप्लिकेशन बोर्ड या आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड न केवल असंवैधानिक है वरन अवांछनीय भी।
ज़ेहाद की अवधारणा को समझना जरूरी है।जिहाद इस्लाम का एक महत्वपूर्ण घटक है जिसके बल पर ही सम्पूर्ण विश्व मे इस्लाम का प्रसार हुआ है।वहाबी,सल्फी या अहले हदीश इस्लाम की वह धारा है जिससे जाने अनजाने में देश के मुस्लिम पंथ का एक बड़ा तबका प्रभावित होता जा रहा हैं।
  वास्तव में, अपनी विचारधारा को आतंक के बल पर प्रसारित करने के लिए सल्फी इस्लाम ने व्यावसायिक रूप से एक व्यवस्थित जिहाद छेड़ी है।इस जिहाद को तीन इकाइयों के द्वारा संपादित किया जा रहा है।

अलमिशफू ( स्लीपर सेल), नाशित (राजनीतिक कार्यकर्ता) एवं जेहादी ( आत्मघाती दस्ते)
जिहाद के ये तीन यंत्र इस प्रकार है:
1-अलमिशफू- ये चुपचाप और गैर-राजनैतिक रहकर देश की जड़े खोखला कर रहे हैं।
2-नाशित: ये सक्रिय राजनीति में भाग लेकर सेकुलर लबादा ओढ़कर शासन को शरिया के अनुकूलन के लिए कार्य करते है।
3-जिहादी: ये कुफ्र,शिर्क,इज्तिहाद और तक़लीद (ज्ञान,बुध्दि से बहस करना) वालों का खून बहाते हैं।
सावधान रहिये।अफगानिस्तान से सिकुड़कर वर्तमान स्वरूप वाले देश को भी ये तोड़ने में लगे हैं।।
इस प्रकार स्पष्ट है कि आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड देश मे ज़ेहाद की मुख्य गवर्निंग बॉडी के रूप में काम करता है।यह एक एनजीओ मात्र है जिसकी कू वैधानिक हैसियत न होते है भी यह इसकी स्थापना से आज तक एक प्रमुख मुस्लिम दबाव समूह के रूप में कार्य करता है।यह हर उस आधुनिक सामाजिक,आर्थिक,राजनीतिक एवं अन्य सभी सुधारों के धर्मनिरपेक्षता एवं लोकतंत्र की आड़ में विरोध करता है जो शरिया कानून के लिहाज से जायज़ नही है।इस प्रकार यह देश के कानून को शरिया के अधिकतम अनुकूलन के लिए कार्य करता है।
जेहाद किसके खिलाफ ?

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सल्फी प्रमेय के लिए धार्मिक रूप से कट्टर मोमिन तैयार करना जरुरी है।यह तभी सम्भव है जब मुस्लिमों को हर प्रकार से उनकी जड़ों से काटकर उन्हें आम स्थानीय समाज से अलगाव की राह पर लाया जाये।लेकिन यह एक ऐसा मार्ग है जिसने गैर-मुस्लिमों (काफिरों) के साथ किये जाने वाली जेहाद की तोप का मुंह खुद उदारवादी आधुनिक इस्लाम के विरुद्ध मोड़ दिया।सल्फियत के लिए इस्लाम के भीतर ही पर्याप्त रूप से काफ़िर मौजूद हैं।जिनके विरुद्ध जेहाद जरूरी समझा जा रहा है।सूफीवादी, बरेलवी, शिया, अहमदिया, कादियानी उदार किस्म के मुस्लिम है।खुद इज्मा एवं कयास में विश्वास रखने वाला आम मुस्लिम भी सल्फी इस्लाम के लिए काफिर है, जिसके लिए मौत मुकर्रर करना जेहादी के लिए जरूरी है। 24 नवम्बर 2017 को मिश्र के सिनाई प्रायद्वीप में सूफी मस्जिद पर सेल्फियों ने हमला किया ।इस हमले में 235 नमाजी उस समय मारे गए जब वे नमाज पढ़ रहे थे।

यहां दो बातें महत्वपूर्ण एवं बिल्कुल स्पष्ट हैं: 

1- सल्फी जेहाद इस्लाम के उदार पंथों जिनमे सूफी भी हैं, के खिलाफ है।

2- इस्लाम खतरे में है और उसे यह खतरा हिंदुओं या ईसाइयों से नही बल्कि खुद इस्लाम से ही है।

असहिष्णुता का अतिवादी संस्करण सल्फियत/वहाबी/अहले हदीश हमेशा "इस्लाम खतरे में" का नारा लगाता रहा है जिसके निहितार्थ अब दुनिया के सामने प्रकट हो रहे हैं।यानि सल्फी इस्लाम मुसलमानों को खतरा दिखाकर अपना कट्टरवादी एजेंडा चलाता रहा है।वह खुद को ,इस्लाम के सबसे घातक शत्रु के रुपवमे तैयार करता रहा है।

इस्लामी देशों में जंग क्यों?

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सल्फी/अहले हदिशी इस्लाम के अनुयायी अपने मदरसों एवं मस्जिदों के पाठ्यक्रम में जहर घोलकर मासूम बच्चों को पिलाते हैं।उनके पाठ्यक्रम का जरूरी अंश है कि " राष्ट्र-राज्य" सरकारें गैर-इस्लामी एवं कुफ्र हैं।पूरी दुनिया मे खलीफा की हुकूमत कायम करनेबके लिए जब भी हमारे पास ताकत होगी तो हम उन गैर-इस्लामी हुकूमतों को उखाड़ फेंकेंगे। इस्लाम बाहुल्य देशों में उन गैर-इस्लामी हुकूमतों को उखाड़कर खलीफा के शासन की स्थापना के लिए जंग जारी है।जिसमें मुस्लिमों द्वारा,मुस्लिमों के लिये, मुस्लिमों के खिलाफ़ जेहाद जारी है। मिश्र में 2011 में मुस्लिम ब्रदरहुड द्वारा ऐसी सरकार को उखाड़ फेंका गया था।जिसके बाद लगातार खून खराबा चालू है।