Monday, January 18, 2016

सडविंद्र

कोख मेरी सूनी रह जाती,
दर्द बांझपन का सह जाती..
न दूध मेरा होता शर्मिंदा.
पैदा न तू जो जिंदा होता..

Tuesday, January 12, 2016

तेरी मुहब्बत में खाक हो जाऊँ..

देश मेरे,तेरी मुहब्बत में,गर मैं खाक हो जाऊ,
बिना काशी बिना काबा गए ही पाक हो जाऊँ..
चाहत जन्नत की न मुझे,न तख्तोंताज ही चाहूँ..
तेरी खातिर दोजख पर, मैं कुरबाँ लाख हो जाऊ..
बिना मंदिर,बिना मस्ज़िद गए ही पाक हो जाऊँ...
तू ही नबी मेरा,मेरा भगवान् भी तूही
राहे-क़ुरबानी में,
भगत बन जाऊं,कभी अशफाक हो जाऊँ..
बिना तीरथ,बिना कोई हज़ किये ही पाक हो जाऊँ..
मुझे जिन्दा जला देना या सूली चढ़ा देना..
शाने-वतन में गर, कभी गुस्ताख हो जाऊँ..
बिना रोजे,बिना उपवास, किए ही पाक हो जाऊँ..
# पठानकोट शहीदों को समर्पित
                         @सुनील सत्यम

अल्पसंख्यक कौन ?

संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार जिस समुदाय की जनसँख्या कुल जनसँख्या का 3% या उससे कम हो उसे अल्पसंख्यक समुदाय माना जाना चाहिए।भारत में 3% जनसंख्या सिर्फ सिख,जैन,बौद्ध एवम् ईसाईयों की है।इस लिहाज से देश में सिर्फ यही समुदाय अल्पसंख्यक है।मुस्लिमों की जनसंख्या देश की कुल आबादी के लगभग 15% से अधिक है।इसलिए मुस्लिम समुदाय वास्तव में अल्पसंख्यक की श्रेणी में नहीं आता है!
     लेकिन देश में राजनितिक कारणों से मुस्लिम समुदाय को भी अल्पसंख्यक का दर्जा मिला हुआ है।
वास्तव में भारतवर्ष के आकार को देखते हुए राष्ट्रीय स्तर पर किसी समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा दे देना न्यायोचित नहीं है क्योंकि हर प्रदेश,हर जनपद और यहाँ तक कि ब्लाक एवं ग्राम स्तर तक समुदायों की जनसंख्या का वितरण एक जैसा नहीं है। विभिन्न समुदायों का विभिन्न क्षेत्रों में वितरण का पैटर्न एक जैसा नहीं है।इसलिए देश में विभिन्न समुदायों को राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक का दर्जा न देकर क्षेत्रीय स्तर पर ही यह दर्जा दिया जाना चाहिए ताकि अल्पसंख्यकों को विकास की विभिन्न योजनाओं का वास्तविक लाभ मिल सके।उदाहरण के लिए जम्मू कश्मीर एवं नागालैंड जैसे प्रदेशों में हिन्दू अल्पसंख्यक है।देश के कई जनपदों जैसे उत्तर प्रदेश के रामपुर एवम् पश्चिमी बंगाल के माल्दा आदि जिलों में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं।
       संपूर्ण भारतवर्ष में यही स्थिति है।अतः यह न्यायोचित होगा कि प्रदेश,जनपद एवम् ब्लाक स्तर पर विभिन्न समुदायों की जनसंख्या के हिसाब से अल्पसंख्यक दर्जा देने की शुरुआत होनी चाहिए। तभी हम सभी अल्पसंख्यकों को न्याय दे सकेंगे।
# सुनील सत्यम

Monday, January 4, 2016

सम-विषम के आगे भी रास्ता है..

दिल्ली आजकल मदारिगिरि के रास्ते पर है।मुख्यमंत्री केजरीवाल को किसी ने समझा दिया कि समविषम का मन्त्र उन्हें जनता का रहनुमा बना देगा और दिल्ली की आबोहवा को खुशनुमा।तपाक से बिना किसी दूरदर्शी नीति के दिल्ली की सड़को पर दौड़ने वाले वाहनों को समविषम वाहन संख्या की बेड़ी में जकड़ दिया गया।इस नियम के अनुसार दिल्ली की सड़कों पर सम दिनांक को सम संख्या की और विषम दिनांक को विषम संख्या की गाड़ियां ही सड़क पर दौड़ पाएंगी..
समविषम का विचार बुरा नहीं है।यह नया भी नहीं है क्योंकि दिल्ली में बढ़ते पर्यावरण प्रदुषण के चलते वर्ष 2000 से ही यह चर्चा में रहा है।हाँ इस पर निर्णय लेने का साहस तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित नहीं दिखा पाई।इस मायने में केजरीवाल की सराहना करनी होगी कि उन्होंने यह साहसिक कदम उठाया।
दिल्ली एवम् मुम्बई,कोलकाता तथा चेन्नई जैसे अन्य महानगरों में भी पर्यावरणीय प्रदूषण मर्मान्तक होता जा रहा है।भारत के अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरुरी है कि इस पर प्रभावी नियंत्रण लगाया जाये।निसंदेह इन महानगरों की दुर्दशा के लिए यातायात के इलेक्ट्रॉनिक वाहन ही जिम्मेदार हैं।समविषम का फॉर्मूला महानगरों में वायु एवम् ध्वनि प्रदूषण रोकने का एक कारगर कदम तो है लेकिन एकमात्र करक नही है। इसके लिए हमें अन्य प्रभावी कदम भी उठाने होंगे ताकि महानगरो  में वाहनों की बढ़ती संख्या पर अंकुश लगाया जा सके।कुछ अन्य प्रभावी कदम है जिनके द्वारा दिल्ली जैसे महानगरों में वायु,ध्वनि और जल प्रदूषण पर प्रभावी अंकुश लगा सकते हैं। ये कदम हैं:-
* महानगरों में वाहन खरीदने वाले व्यक्तियों के पास स्वयं के पार्किंग स्थल होने की अनिवार्यता लागू की जाये।जिन लोगों के पास अपने घर में वाहन पार्क करने की जगह हो सिर्फ वही गाड़ी खरीद सके ऐसी व्यवस्था लागू करनी चाहिए।गाड़ी खरीदते समय अन्य जरूरी दस्तावेजों के साथ पार्किंग स्पेस प्रूफ भी अनिवार्य किया जाये।
दिल्ली जैसे महानगरों में जिन लोगों के पास चुपहिया वाहन है उनमे से 90% लोगों के पास अपना स्वयं का पार्किंग स्पेस नहीं है।ये लोग जब अपने घर पर होते है तो गाड़ियां सरकारी सड़कों अथवा गलियों में पार्क करते हैं।
# सरकारी सड़कों,गलियों और स्थानों पर गाड़ी पार्क करने के लिए मासिक पार्किंग चार्ज वसूल किया जाना चाहिए।MCD के पार्किंग स्थलों पर भी पार्किंग चार्ज में बढ़ोतरी की जानी चाहिए।
#कुछ खास एवम् भीड़ भाड़ वाली जगहों पर जैसे कनॉट प्लेस,खान मार्किट,पहाड़गंज आदि में 'भीड़ शुल्क congestion charge' लागू करना चाहिए।
# SUV के स्थान पर स्थानीय लोगों के लिए ऑल्टो एवम् नैनो वर्जन जैसी छोटी गाड़ियों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
# इ-साइकिल (e-cycle)को प्रोत्साहन देना चाहिए।
#छात्रों के लिए मोटरसायकल एवम् कार के स्थान पर e-cycle की अनिवार्यता लागू हो। स्कूल कालेजों में छात्रों के मोटरसायकल एवम् कार लाने पर रोक लगाकर इ-साइकिल को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
# 20 किमी से ऑफिस आने वाले कर्मचारियों,अधिकारीयों के लिए भी इ-साइकिल की अनिवार्यता हो।
#दिल्ली में यमुना सफाई के लिए यमुना जे दोनों किनारों पर पाइप-कैनाल बनाकर उसमे मलजल डाला जाये जिसे निश्चित स्थान पर शुद्ध किये जाने हेतू प्लांट लगाये जाये।इसप्रकार शुध्द पानी को ही यमुना में डाला जाए।कोई भी सीवेज पाइप लाइन सीधे यमुना में न डाली जाये।
उपरोक्त उपायों द्वारा महानगरों के शुद्धिकरण के प्रभावी उपाय किए जा सकते है।
"अब स्वेच्छा नहीं, शक्ति ही उपाय है।"

# सुनील सत्यम