Tuesday, March 18, 2008

तिब्बत के साथ खड़े हों...!

दुनिया की छत तिब्बत संकटों से घिरा हुआ है। चीन अपनी तानाशाही पर अडा हुआ है.चिन का साम्राज्यवाद कम्युनिस्टों को नजर नही आता है...
आवश्यकता एस बात की है की सभी मतभेदों,वादों को भुलाकर दुनिया चिन के साथ खड़ी हो...तिब्बत की आजादी से ही भारत का भला होगा...
कुंवर सत्यम.

Friday, March 14, 2008

जाना बहुत है दूर.

मित्रों आज का दौर बहुत ही दुविधापूर्ण है.कहाँ क्या चल रहा है पता चलना कठिन है...ऐसे मी बह्ताकने का डर बना रहता है। युवा वर्ग क्योंकि अधिक भावुक होता है सो उसके भटकने का ज्याद डर है। हम ऐसे युवाओं का मंच बनाना चाहते है जो मुद्दों को लोकतांत्रिक तरीके से उठा सके ...बहरे कानों तक अपनी बात को पहुँचा सके.हमें बम और गोली में नही बल्कि दम और बोली मे विश्वास रखने वालो की जरुरत है।
आज देश को ऐसे यौंग पोलितिअनोस की जरूरत है जो जरुरत पड़ने पर चुनाओं मे उम्मीदवार का साक्षात्कार लेने से भी नही घबराए....और जरुरत पड़े टू ख़ुद चुनाव मैदान मे आए....जरुरत है अधिक से अधिक युवा .पढ़ा लिखा, स्वच्छ छवि का युवा राजनीती मे आए और नक्कारे बदमाशों को हराकर देश का भार कम करें.

Tuesday, March 11, 2008

बदलाव के लिए साथ आयें...!

प्रिय मित्रो,
यह समय परिवर्तन का है। इतिहास गवाह है की परिवर्तन हमेश युवाओ ने किंये है.आजादी के बाद के आन्दोलन इस बात के सबूत है के आजादी दीवानों के सपने पूरे नही हुए है। सवाल उठता है आखिर क्यों ऐसा हुआ? जब आजादी के परवानों द्वारा इच्छित आजाद भारत हमें प्राप्त नही हुआ तो ऐसे मी हम क्या करें ? हम आजादी के सैट सैट लोकतंत्र के भी दीवाने हैं..हमारा मानना है की लोकतंत्र ही वो हतियार है जिसकी आज के युवाओ को जरुरत हैं.बस हमे इस हतियार को ज्यादा धर डर बनाना है...कैसे? यही वो सवाल है जिसके लिए हमें मंथन करना है..आओ यारो अपनी लोकतंत्र यात्रा को सुखद बनने के लिए उठाये कुछ भार अपने कन्धों पर..डगर कठिन जरूर है पर विजय सुनिश्चित है॥
बस हमे यद् रखना होगा के .....
आंधी क्या है तूफ़ान मिलें..बढ़ना ही अपना कम है.