Monday, July 2, 2012

आज मेघा ऐसे बरसो.

आज मेघा ऐसे बरसो.
याद रहे जो बरसों.
चलानी है आज मुझे,
वो कागज़ की कश्ती.
नहाना है बूंदों पे,
लोटा दो वो बचपन की मस्ती.
वो पानी में उछलना ,
वो कीचड़ में फिसलना,
वो देर से आना वापस घर को.
आज मेघा ऐसे गरजो,
याद रहे जो बरसों..
           
            ........कुंवर सत्यम.