Monday, April 18, 2016

सकारात्मक रहे,अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहे।

आगे बढना है तो पहले खुद से आगे निकलना होगा।यदि एक पावन लक्ष्य लेकर,सेवा भाव से हम आगे बढना चाहते है तो हमारा सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी तो हम खुद होते हैं।हम अपने कार्य पर केंद्रित होने के बजाय अपनी ऊर्जा को दूसरों की कमियां गिनाने और उजागर करने में नष्ट करने में लगा देते हैं।जब हम कोई लक्ष्य निर्धारित करते है तो हमसे प्रतियोगिता रखने वाले लोग उसी तरह का लक्ष्य की अपने लिए चर्चा करने लगते है।ऐसी चर्चा सुनकर एक स्वाभाविक सी प्रतिक्रिया हमारे मन में आती है और हम उस व्यक्ति की निंदा में लिप्त हो जाते है जिससे हमारी आंतरिक सकारात्मक ऊर्जा क्षय होने लगती है।हमारा प्रतिद्वंदी उस लक्ष्य में कितना सफल होता है यह एक अलग बात है लेकिन 'ईर्ष्या के नकारात्मक बल के कारण'हमारी लक्ष्य यात्रा गतिहीन होने लगती है।

Wednesday, April 13, 2016

"सेना द्वारा बलात्कार की कन्हैयाइ प्रमेय-घटनाये और बढ़ेंगी"...!


हंदवाड़ा (जम्मू एवं कश्मीर) में एक लड़की को हथियार बनाकर देश के दुश्मनों ने बलात्कार की अफवाह फैलाई और पत्थरबाजी शुरू कर दी।वैसे पत्थरबाजी, हर जुम्मे की नमाज के बाद कश्मीर,खासकर घाटी में एक नियमित रस्म बनी हुई है।
    JNU विद्रोह से कश्मीरी अलगाववादियों एवं पाकिस्तानी आतंकियों को एक नया आत्मविश्वास मिला है।अब तक पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी ISI को भारत को परेशान और कमजोर करने के लिए पाकिस्तान से घुसपैठ करानी पड़ती थी।लेकिन JNU विद्रोह के बाद ISI और अलकायदा ने अपनी रणनीति को पुनरनिर्धारित किया है।दलाल मिडिया द्वारा उमर खालिद और कन्हैया को हीरो बना दिए जाने के बाद कश्मीरी अलगावादी उपद्रव का पुनर्युवन हुआ है।कन्हैया ने सेना पर सार्वजनिक रूप से झूठा बयान दिया कि सेना द्वारा कश्मीरी महिलाओं के साथ बलात्कार किया जाता है।
     अब कश्मीरी अलगाववादी इस "कन्हैया प्रमेय" को हजार बार बोले जाने वाले झूठ से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सिध्द करने का भरपूर प्रयास करेंगे ।आये दिन फर्जी घटनाएं सृजित करके "सेना द्वारा कश्मीरी महिलाओं के साथ बलात्कार" के झूठे किस्से प्रचलित करके पत्थरबाजी की धार तेज की जायेगी। कन्हैयाई बलात्कारी प्रमेय को अलगाववादियों द्वारा सिद्ध करने के लिए ऐसी घटनाये अब घाटी में और घटेंगी."
भारतीय सेना को देश ही नहीं बल्कि कई देशों में संयुक्त राष्ट्र संघ के नेतृत्व में शांति सेना के रूप में कार्य करने का लम्बा अनुभव है और बलात्कार जैसा कोई आरोप भारतीय सेना पर कभी नहीं लगा है।युध्द बंदियों और विद्रोहियों या आतंकी महिलाओं के साथ बलात्कार भारतीय सेना की नीति का हिस्सा नहीं है।सभ्य समाज में भी आये दिन बलात्कार की अनेक घटनाएं होती है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि बलात्कार राज्य की नीति का हिस्सा है।बलात्कारी के साथ पुलिस क़ानूनी कार्यवाही करती है।ठीक इसी प्रकार यदि कभी किसी विकृत सैनिक द्वारा कहीं बलात्कार जैसी कोई घटना प्रकाश में आती भी है तो वह सेना की नीति का हिस्सा नहीं है।दोषी सैनिक के विरुद्ध सेना पुलिस कठोर कार्यवाही करती है।दोषसिद् होने पर सैनिक का कोर्ट मार्शल तक किया जाता है।
       कश्मीर में सेना द्वारा बलात्कार की कोई अपवादात्मक घटना कभी घटी हो इससे इंकार नहीं किया जा सकता है।ऐसे मामलों में सेना द्वारा दोषियों के विरुद्ध कठोरतम कार्यवाही भी हुई है।
हंदवाड़ा की घटना सच्चाई से परे सेना को बदनाम करके पाकिस्तानी मंसूबों को साकार करने की अलगाववादियों की कोशिस के आलावा और कुछ नहीं है।